शराब घोटाले को थोडा समज्लेते है !



पुरे भारतमे नशाबन्धी सिर्फ और सिर्फ निम्न स्टेटमे ही है

गुजरात बिहार ....!!!! सिर्फ और सिर्फ केरला, यु पी . में धार्मिक जगह जैसे मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारा की प्रेमिसीस में मना है ... सरकारी दफ्तारोमे और ऐसीही सुशिल जगह पर मना है

पब्लिक्मे हर जगह पीना एलाउड नहीं है .... पुब्लिक बीच  परभी कानूनी पाबन्दी है मगर हर जगह जहा तक लो ऑर्डर ठीक है ... उतना स्ट्रिक्ट नहीं है..

अपने बंधारण में सेक्शन ७ के अंतर्गत इसे स्टेट सब्जेक्ट मानकर रखा है ... और हरेक स्टेटको राज्यको क्या निति रखनी है वो उनकी चुनी हुई सर्कार द्वारा कानून बनाकर तय होता है ...  जिसमे लोकल फोर्सिस दबाव जरूरियात लाइफ स्टाइल धार्मिक हां या ना कुछ दिन ड्राई दिन रख कर संभाल लिया है  ..मझेकी बात ये है के ये चुनी हुई सरकार सेन्ट्रल एक्साइज और सेन्ट्रलके अन्य प्रावधानमें कुछ हद तकही मॉडिफाई कर शकते है जिससे देशकी सुरक्सा आर्मी डीफेंस और सांस्कृतिक परंपरा को नुकशान न हो....

जैसे दारु पीना अच्चा नहीं माना जाता आमतौर पर ... पिए बिना रह नहीं पाते और ये सांस्कृतिक जामा पहेनाके बंधिके प्रावधानसे करप्शन कंट्रोल के बजह गुजरात और बिहारमे सबसे ज्यादा पाया गया. इससे गेर्कानूनी तरीके से दारुका बाज़ार कितनी गंध समाजमे है हे हम सबको मालूम है ... ये सामाजिक और धार्मिक कंट्रोल फेल हुआ है लश्करमें तो आप लिकर पाबंधीकी सोच ही गलत है !!! अपनी सरकारे और समाज विविध कोस्मेटिक ड्राई डे विक नो पुब्लिक प्लेस परमिट सिस्टम सरकारी वितरण स्ट्रिक्ट टाइमिंग क्वालिटी कंट्रोल हस्त्क्सेप ये सबकुछ करके   दिखावा न करो ईज़ी नीतिया बना के अपनी जिम्मेदारी ख़तम ...समझते है ...

गुजारतमें परमिट सिस्टम है और वो भी इजी होती जा रही है....व्यय्वारिक एक्स्पेक्तेब्ल क्या है ...  मगर चुप चाप पिलो जितनी पीनी है ... स्वाभाविक है के इसके नियमोमें रिफॉर्म्स जरुरी थे.  केजरीवाल मनीष शिसोदिया संजय सिंह और अन्य मिले उन्होंने मोडिफिकेशन जितना हो शकता था लो प्रोफाइल से कर दिया क्यों की इसी चेंज के पीनेवाले सब चाहक थे मगर धीरे धीरे अपने जिंसमे बेईमानी और पतली गली से निकल जाने में होशियारी है ... ६४+ आउटडोर आउटलेट्स दिस्त्रिबुशन पर सरकारी पाबंधी कम होती गई !!! धीरे धीरे सरकारी हस्तक्सेपकी गुंजाईश कम हो गई और करप्शन बढाती गई येही बात सिखने तेलंगाना जहा दारूकी पगंदी नहीं है और राज्कर्ताही डिस्टिलरी करोबार् में जुड़े है. थोडा पैसा घटा दिया एक पर एक सस्ती ब्रांड फ्री करदी ....!!!! क्वालिटी कंट्रोल खड्डे में गया ... और लूटनेवाले और लूतायेजाने वाले शुरुमे खुश थे ...मगर धीरे धीरे सबको ये फिल होते चला ...  गवर्नर   बुरोक्रेट्स  जथादारी दुकानदार दिस्त्रिबुतोर्स धीरे धीरे संघआ र्षमें पाए गए.. सबको गड़बड़ महसूस हुई

गाँधीवादी है इसलिए शराबकी बात ही उनको पसंद नहीं ...और उसका चेला इसमें मार खाए तो वो साइलेंट है और केजरीवाल एंड पार्टी वो खुद एक इनकम टेक्स आलाअफसर  रहे है ...खूब जानते है... ये पूरा सेक्टर ही किसीने पाबंधी और छूटमें कई फ्रिक्शन सिचुएशन आती है ... कारोबार बढेगा ... क्युकी मन मोहन सिंह जी ने पैसा पर कई पाबंधी दूर की तो पहेले ठीक ठीक कारोबारमें वृध्धि जरुर हुई ... पैसे बनानेके गवानेके कमीशन करप्शन तरीके सामने आये इसी तरह पैसा कोई सामाजिक इश्यु में गंध और व्यसन नहीं है इस लिए समाज को उल्टा आर्थिक उन्नति आवश्यक थी तो हरबात स्वीकार हो गई ... जो महेगाई से पीड़ित है वो पीड़ित ही रहेंगे इ गए .... क्योंकि नए गरीब ....मगर कुछ मिडल क्लास एवं गरीबको मोके जरुर मिले. ये भी बहोत है...

मानलो हम हेरोइनकी उत्पादन कानूनी बनादे ..!! बहोत पैसे मिलेंगे.... मुल्क तरक्की करेगा....मगर कुछ ही दिनोमे समाज गहरी खाई में गिरेगा.....और मसले अफ़ग़ानिस्तान पाकिस्तान येमन सीरिया कोलंबिया साउथ अमेरिका  जैसे बढ़ जायेंगे ... और ये सामाजिक पतन हमको बिलकूल ख़तम करदेगा ..दारु शायद उतना ख़राब नहीं है मगर कुछ गड़बड़ जरुर है पार्शियल कंट्रोल और मार्किट पर सामाजिक न्यायिक सरकारी पुलिस आर्मीका कंट्रोल करके हम लिकर पालिसी में जरुरी बाते एडिट कर शकते है ....

Liquor:-

Corruption in already ignored corrupted market found. The reaction also came in the form of wotch stopping them reverting the policy but the kickbacks very difficult to prove kind… are now unearthed! Elections are round the corner so the Game is played.

Which political party ? or personality fits where and what good bad and ugly is done.

To me Live Coverage fiasco by media.. leading to not solving but keeping alive all the burning issues for their TRP. Our own sanity matters. My blogs are intended to touch your own interest…  just dig further and find out..

 Dr H G Joshi

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Comments

  1. When this kind of review is considered in up dating policies all the possible dangers ..at least most of them were overlooked... deliberately in expectation of money storage , age restrictions , hours restrictions govt control minimized and was let run to the Mafias and jealousy in this field is as bad as any sector . Though alcohol consumption increased but not reflected in out come ! it was so eased out that MRP less un official discounts rose !! that leading to further conflict of interests.. Quality did not suffer much but Government earning was shared by the profiteers within 1 year AAP could not handle the issues and the policy was reverted back to Original. It should be compared to policy prevailing in other states, Revenue Officers local earned kick backs Other exposed them. So cat mouse game started. The Telangana Liquor political apex offered some kickbacks those were directed to GOA election. Here some HAWALA mistakes , whistle blowers un earthed 45crore scam. Now this is One of Many !!! So the involved are hiding and those honest + couldnot be benefited came nearer.. IT WILL BE VERY DIFFICULT TO COME OUT CLEAN for AAP . We are public , It is not a guess work. Tip of iceberg is explored. HIDE SEEK, Cat Mouse, Ping Pong is started. Time will expose them all.

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